हाल कुछ इस तरह है दिल का कि हम ही हम गुदगुदा रहे हैं। मैं अब मैं नहीं हम हुए जा रहे हैं। दिल्लगी कुछ इस तरह तरसा रही है कि यह बेमौसम बारिश भी हमें तड़पा रही है। दूरी उनकी हमसे ना सही जा रही है। जल्दी मिलते हैं बस यह दो शब्द ही हमारी जान लिए जा रहे हैं। - मोहित अतुल्कर #NojotoQuote