आने वाला कल खिल जायेगा दौर-ए-माज़ी ले जायेगा, बोझ बना जो जीना है, वो जीना सहल हो जायेगा। माना के हरदम जीवन के नाज़-ओ-सितम उठाते रहे, तू हौसलों का शृंगार कर ये पन्ना भी पलट जायेगा। सितम ढाते हैं जो, आज़माते हैं जो इरादे सख़्त बनाते हैं वो, तिनका नहीं फ़ितरत तेरी जो एरी गैरी हवा उड़ा ले जायेगा। भावों का उफ़ान उठ रहा सीने में, राहत की लहर भी आएगी, हर दरिया आँखों का सूखेगा जब तू मुस्कुराना सीख जायेगा। थोड़े ग़म मिलेंगे दामन में पर ठहर नहीं वो पायेगा, कोयले में दमकता है हीरा तू भी हीरा सा चमक जायेगा।— % & सहल - आसान , Easy ♥️ Challenge-855 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।