Dil Shayari आज फिर से गुस्ताखी करता हूँ,धर्मावलंबियों से सवाल करता हूँ। जो धर्म तुम्हारी संस्कृति है, उसी का क्यों अपमान करते हो। जिसे झूठ को तुम पाप कहते हो,फिर वही झूठ तुम क्यों कहते हो। दूसरे को लूटने को पाप कहते हो,फिर वही लूट तुम क्यों करते हो। पराये धन भोग को दुराचार कहते हो,फिर वही दुराचार तुम क्यों करते हो। पर स्त्री स्पर्श को व्यभिचार कहते हो,फिर वही व्यभिचार तुम क्यों करते हो। अहिंसा को ही परम धर्म कहते हो,फिर वही हिंसा तुम क्यों करते हो। जिस कृत्य से बचने को कहते हो, फिर वही कुकृत्य तुम क्यों करते हो। जिस गीता कुरान बाइबिल साहिब की बात करते हो, फिर उन्हीं ग्रन्थों की बातों का क्यों अपमान करते हो।। आज फिर से गुस्ताखी करता हूँ.....।। 🖋कुशवाहाजी 🖋 #धर्म #धर्म #धर्मग्रन्थ #अपमान #चोरी #पाप #दुराचार #दुराचारी