फिर जन्म लो इस धरा अवतार बनकर राम जी फिर से बुराई छा रही अंधकार बनकर राम जी क्रोध,तृष्णा, लोभ, माया,ईर्ष्या, मद, कामना रोग रावण दो मिटा उपचार बनकर राम जी सीता मैया वाटिका में है अकेली आज भी आया है लंकेश फिर अय्यार बनकर राम जी जल रहा है पीड़ा से मन दग्ध तन संताप से बरसो तपती देही पे जलधार बनकर राम जी खंड विखंडित हो रही है कंठ माल्य धर्म की सारे मनके जोड़ दो तुम तार बनकर राम जी स्नेह शबरी का अधूरा श्रीपति हरी आप बिन 'राज' सिर पे हो सदा सरकार बनकर राम जी राजबीर खोरड़ा 05/10/2022 ©Rajbir Khorda #Dussehra2020