जिंदगी में बेटे की चाह ,रखे जरूर। पर बेटी का तिरस्कार,ना करे हुजूर। बेटा, बेटी का फर्क,पुरानी बात हो गई। बेटो से ज्यादा,बेटियाँ हो रही मशहूर।। बेटी ही सम्हाल रही,जब बेटा हो दूर। कोई बेटे संस्कारी,कुछ मस्ती में चूर। कुछ बेटे जानबूझकर छोड़े माँ बाप को। भाग दौड़ भरे जीवन मे,कुछ वाकई मजबूर। बेटे चाहे साहब बने,या बने मजदूर। पर माँ बाप के वास्ते,ना होवे वो क्रूर। बेटे की चाह रहती हर माँ बाप को। माता पिता से जुदा करे,कुछ बेटो को हूर। हर पालक देता है,खुशियां भरपूर। बेटे होते माँ बाप के,आँखों के नूर। जरूरत होती बुढ़ापे में बेटो की जब। बेटा ना पाले तो,किसका कसूर? ******************** प्रदीप स्वामी,हास्य व्यंग्य कवि,रामपायली ©Kavi Pradeep Swami #beti #bete #betekichah #kavipradeep #pradeepswami #maabap #ShiningInDark