26. तेरा मुझमें घुलन और मिलन पाकीजा की आरजू का बर्फ पर फिसलन, राहगीर का मंजिल के अंजाम से मिलन, फूलों की खुशबू पर भंवरों का भ्रमन, कांच के टुकड़ों पर चले पद्चिह्न, तेरा मुझमें घुलन और मिलन, तेरा मुझमें घुलन और मिलन. पाने की होड़ में खोने का डर, वायदे निभाने की जिद में बेसबर, सायों की भीड़ में वास्तविकता का ज्वर, चलने और गुजरने से परे निभाने का प्यार, तेरा मुझमें घुलन और मिलन, तेरा मुझमें घुलन और मिलन. बंधन और प्रीत से बना कंगन, बहारों से सजा खुशियों का दामन, दिल की इमारत की नक्काशी में छवि का अंकन, दो से एक हो जाने का मनन. तेरा मुझमें घुलन और मिलन, तेरा मुझमें घुलन और मिलन. ©Ankit verma utkarsh❤ collection:- -ठंडी धूप 26th poetry #ValentineDay Dhanya Sajeev