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वीरान घर और आंगन कहता बिन तेरे सब अधूरा सा लगता मै

वीरान घर और आंगन कहता
बिन तेरे सब अधूरा सा लगता
मैं भीड़ में भी तनहा हूं ,सांसे अब शेष
माँ, तुम और तुम्हारी यादें शेष।
मेरी उलझन का कोई हल नहीं
घर के हर कोने में बस तेरी ही तलाश है
 बिखर गया हूं मैं, क्या तेरे बिन
क्या तू भी उस दुनिया में उदास है।

©BS NEGI यादें शेष
वीरान घर और आंगन कहता
बिन तेरे सब अधूरा सा लगता
मैं भीड़ में भी तनहा हूं ,सांसे अब शेष
माँ, तुम और तुम्हारी यादें शेष।
मेरी उलझन का कोई हल नहीं
घर के हर कोने में बस तेरी ही तलाश है
 बिखर गया हूं मैं, क्या तेरे बिन
क्या तू भी उस दुनिया में उदास है।

©BS NEGI यादें शेष
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