टेलीफोन आज 4G का जमाना है कल 5G का होगा। हमारा तो दौर हुआ करता था। हम जहाँ पाए जाते लोग वो पृतिष्टित हो जाते। ऐसा ही एक घर मुश्ताक भाई का था। जहाँ कभी नवोदय गए मनीष का फोन उसकी माँ के लिए आता तो कभी मुंबई से किसी के पिता के लिए आता । जहाँ कभी मोहल्ले की गुल्लो के लिए किसी मनचले का फोन आता तो कभी किसी का शोक समाचार आता । हम जब थे तो लोग दूर रहकर भी पास थे। दूर रहकर भी अपनों के साथ थे।। बात छोटी होती थी लेकिन सच से राबता था। आज बातें बड़ी हैं और झूठ का साथ है।। आज पास होकर भी लोग कहते है "Sorry I can't meet" ©Afzal Mushtaq #phonecall टेलीफोन