माना कि शांत रहना आवश्यक है, शोरगुल बेमतलब है नाहक

माना कि शांत रहना आवश्यक है,
शोरगुल बेमतलब है नाहक है 
 पर लब इतने मजबूर न हो जाए
की सब कुछ लूट जाए और हम देखते रह जाएं
जब इतिहास तेरी कहानी लिखेगा
सब कुछ वक्त की जुबानी लिखेगा
खामोशियों को बेईमानी लिखेगा
बहती धाराओं को नादानी लिखेगा
समझाते सभी नहीं कुछ टकराने में
कुछ हासिल कहां हुआ खुद बिखर जाने में
बहती हवाएं भी कभी अपना रूप दिखलाती है
जो तन कर खड़ा होता साथ उड़ा ले जाती है
ध्यान कर आराध्य का समर में उतर कर देख
हिम्मत रखकर लहरों से लड़ कर देख
मर्यादित जीवन हो यदि शांति पथ ही तेरा है
जो नयनों से नीर बहे फिर क्रांति बना बसेरा है

©Deepnarayan Upadhyay
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