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, ऐ रोज रोज की , उल्फते उन्हि मेहि हमारी चाहते ,,

, ऐ रोज रोज की , उल्फते 
उन्हि मेहि हमारी चाहते ,,
ढलते सुरज को ,
उगते सूरज को ,,
हमारी पैचान हर रोज मिलि  ,,

©Ravindra Yewale रब्बी
, ऐ रोज रोज की , उल्फते 
उन्हि मेहि हमारी चाहते ,,
ढलते सुरज को ,
उगते सूरज को ,,
हमारी पैचान हर रोज मिलि  ,,

©Ravindra Yewale रब्बी