ओझल ओझल सा समा है जाने कब कौन कहां है .. इस पल रुत वहाँ मेहरबान है समय का ही ये कारवां है.. चलना ही हमें यहां है जहां फरेब से हर इंसान भरा है.. झूठी मुस्कान लिए बैठा हर शख़्स यहां है वाह वाह करने वालों का जुलूस सा लगा है.. ओझल ओझल सा समा है जाने कब कौन कहां है . कुछ_दिल _से #shabd #shayari