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कल्पना से परे होती है इंसान की बदलती फ़ितरत, इंसान

कल्पना से परे होती है इंसान की बदलती फ़ितरत,
इंसान में ही होती है मन के रंग बदलने की आदत।
प्यार कब नफ़रत में बदल जाए, क्या कह सकते हैं,
इंसान कब अपनी फ़ितरत बदले बिना रह सकते हैं।

©Amit Singhal "Aseemit"
  #फ़ितरत