मेरा ये इश्क़, तुम मंज़ूर कर दो। बस देख लो, झुकी नज़रें उठाओ, और सर-ए-महफ़िल यहाँ मशहूर कर दो। -रूद्र प्रताप सिंह सर-ए-महफ़िल*: भरि महफ़िल में