#Raat
ये बरसात की भीगी भीगी रातों में दिल की सूनसान सड़क पर रहता तेरी यादों का पहरा है।
कमबख्त नींद कैसे आए आंखों में बसा तेरा चेहरा है।
सोचा था प्यार ना करेंगे कभी इस राह में बड़ा झमेला है।
हम दिल को समझाते ही रहे ये दंगा देकर तेरा हो गया।
दिन के शोरगुल से तक शाम भी मदहोश हुई,
ढल गया सूरज तारों की बारात सजी हम तेरी यादों में खोये खोये तारों को गिनते रहे।
उफ़ ये बरसात की भीगी भीगी रातें। #कविता