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जब चुपचाप रहता हूँ, ख़ामुशी बोल पड़ती है, जब से सेहर

जब चुपचाप रहता हूँ, ख़ामुशी बोल पड़ती है,
जब से सेहरा में आया हूँ, तिश्नगी बोल पड़ती है।

मेरी बातें नहीं सुनते, मुझसे तुम क्यों रूठे रूठे हो,
ये गलती जो तुम्हारी है, वो आखिरी बोल पड़ती है।

वो जब खामोश हो जाये, तब नज़रें बातें करती है,
जब उनसे बोलता हूं तो नज़रें सुरमई बोल पड़ती है।

कोई अपना जो मिल जाये, ख़िज़ाँ में फूल खिल जाये,
जो कोई चाहने वाला हो, बेख़ुदी बोल पड़ती है।

कोई अपना नहीं प्यारे, है यहाँ सब मतलबी रिश्ते,
ज़रा सा काम जो पड़ जाये, दुश्मनी बोल पड़ती है।

किसी मौके पे हो चाहे, लगाना जब ये चौके चाहे,
मेरा गर मन भी न हो तो शायरी बोल पड़ती है।

माँ के पास जाना तुम, गले उसको लगाना तुम,
तुम्हें चलना सिखाया है, ये उंगली बोल पड़ती है।

'तनहा' के बारे में, मैं कुछ तुमको बताऊँ यूँ
उसके अंदर की बरहमी भी, आज़िज़ी बोल पड़ती है।

©Tariq Azeem 'Tanha' #Journey  hindiurdupoetry #urdushayarilovers #hindishayari #rahatindori #yourquote #ruuhaaniyat #jashnerekhta #kumarvishwas #rekhta
जब चुपचाप रहता हूँ, ख़ामुशी बोल पड़ती है,
जब से सेहरा में आया हूँ, तिश्नगी बोल पड़ती है।

मेरी बातें नहीं सुनते, मुझसे तुम क्यों रूठे रूठे हो,
ये गलती जो तुम्हारी है, वो आखिरी बोल पड़ती है।

वो जब खामोश हो जाये, तब नज़रें बातें करती है,
जब उनसे बोलता हूं तो नज़रें सुरमई बोल पड़ती है।

कोई अपना जो मिल जाये, ख़िज़ाँ में फूल खिल जाये,
जो कोई चाहने वाला हो, बेख़ुदी बोल पड़ती है।

कोई अपना नहीं प्यारे, है यहाँ सब मतलबी रिश्ते,
ज़रा सा काम जो पड़ जाये, दुश्मनी बोल पड़ती है।

किसी मौके पे हो चाहे, लगाना जब ये चौके चाहे,
मेरा गर मन भी न हो तो शायरी बोल पड़ती है।

माँ के पास जाना तुम, गले उसको लगाना तुम,
तुम्हें चलना सिखाया है, ये उंगली बोल पड़ती है।

'तनहा' के बारे में, मैं कुछ तुमको बताऊँ यूँ
उसके अंदर की बरहमी भी, आज़िज़ी बोल पड़ती है।

©Tariq Azeem 'Tanha' #Journey  hindiurdupoetry #urdushayarilovers #hindishayari #rahatindori #yourquote #ruuhaaniyat #jashnerekhta #kumarvishwas #rekhta