•●◆■{(【इश्क़ का सफ़रनामा】)}■◆●• इतना करम न कर दिल पर सनम काफी है तेरे प्यार का सितम हम अपनी हदो को लंग बैठे हैं आज तेरा दिल मांग बैठे हैं दिल की तन्हाई को आवाज बना लिया जख्म थे गहरे उन्हें राज बना लिया इश्क़ में रवादारी रुसवाई बन गई इश्क़ के भीड़ में वो तन्हाई बन गई चाह के भी उन्हें अपना मान न सके मुलाकात थी पहली पहचान न सके होकर नाराज इस बात से वो दफा हो गई भूला कर सारे वफ़ा वो बेवफा हो गई फिर भी मेरा दिल तो तेरा गुलाम है दिल से तेरे दिल को मेरा सलाम है। #mypoem#formycrush