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वो नासमझ समझते रहे हमें नादां इस मुहब्बत के खेल मे

वो नासमझ समझते रहे हमें नादां इस मुहब्बत के खेल में, और हम परवाने हो गए,
वो उम्र भर जिस्म चाहने वालों को तलाशते रहे, और हम उनकी रूह के दीवाने हो गए।। #41
वो नासमझ समझते रहे हमें नादां इस मुहब्बत के खेल में, और हम परवाने हो गए,
वो उम्र भर जिस्म चाहने वालों को तलाशते रहे, और हम उनकी रूह के दीवाने हो गए।। #41