शोर और ख़ामोशी कहीं "शोर" मचा हैं, देखों तुम भी, तो कहीं "खामोशी" छाई हैं। लूट लिया ये "देश" हैं मेरा, ये केसी "आजादी" आई हैं।। कलमकार... - अंकित कुमार निगम Mob No-7037691461 शोर और खामोशी .. By-Ankit Kumar Nigam