"थोड़े दिनों की बात भाइयों, अपने घर में रह लेना" एक भगत था, देश की खातिर, हंसकर फांसी झूल गया, एक खान था, देश की खातिर अपनी सुध बुध भूल गया । एक थी लक्ष्मीबाई जो खुद बलिदानों को रानी थी, लड़ी अकेली देश की खातिर कैसी गजब कहानी थी। और वो चेतक, देश की खातिर जी जान से दौड़ा था, जान गई थी, कब इंसा था, वो तो केवल घोड़ा था ।। फिर से देश पड़ा खतरे में, साथ देश का छोड़ो ना, देश में देखो फैल रहा है, चारों ओर ये कोरोना । बहता है जो खून रगों में, फितरत इसकी तूफ़ानी, बाद में हिन्दू मुस्लिम हैं हम, पहले हैं हिन्दुस्तानी। देश की खातिर, तनहाई में, दर्द मिले तो सह लेना, थोड़े दिनों की बात भाइयों, अपने घर में रह लेना । थोड़े दिनों की बात भाइयों, घर के अंदर रह लेना ।। "थोड़े दिनों की बात भाइयों, अपने घर में रह लेना" एक भगत था, देश की खातिर, हंसकर फांसी झूल गया, एक खान था, देश की खातिर अपनी सुध बुध भूल गया । एक थी लक्ष्मीबाई जो खुद बलिदानों को रानी थी, लड़ी अकेली देश की खातिर कैसी गजब कहानी थी। और वो चेतक, देश की खातिर जी जान से दौड़ा था, जान गई थी, कब इंसा था, वो तो केवल घोड़ा था ।।