जमाने की रश्मो को हम निभाते रहे, उनके लिए अपनी कश्मो को मिटाते रहे। फिर भी उनको हम अपना ना बना सके, क्योंकि उनके लिए हम खुद को मिटाते रहे।। written by ANKUR BAJPAI if you likes then like