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गगन से आकस्मिक, सूरज की लालिमा अदृश्य हो गई। और बा

गगन से आकस्मिक,
सूरज की लालिमा अदृश्य हो गई।
और बादलों का एक सैलाब
गगन में उमड़ पड़ा।

अग्नि की तरह कई वर्षों से
तप रही धरती,
आज गुलाब के फूल की तरह
खिल उठेगी।

चारों तरफ काली स्याही रात में
एक अजीब सी गर्मी थी
जो मानव निर्मित पंखे से भी
शांत नहीं हो रही थी।
लोग पथ पर इस उम्मीद में घूम रहे थे,
कि गगन से
आज नीर की वर्षा होगी।

पर अफसोस,
कुछ ही क्षणों में चाँद की रोशनी से
पूरा वातावरण खिल आया। आकस्मिक.....

#nojoto #nojotohindi
गगन से आकस्मिक,
सूरज की लालिमा अदृश्य हो गई।
और बादलों का एक सैलाब
गगन में उमड़ पड़ा।

अग्नि की तरह कई वर्षों से
तप रही धरती,
आज गुलाब के फूल की तरह
खिल उठेगी।

चारों तरफ काली स्याही रात में
एक अजीब सी गर्मी थी
जो मानव निर्मित पंखे से भी
शांत नहीं हो रही थी।
लोग पथ पर इस उम्मीद में घूम रहे थे,
कि गगन से
आज नीर की वर्षा होगी।

पर अफसोस,
कुछ ही क्षणों में चाँद की रोशनी से
पूरा वातावरण खिल आया। आकस्मिक.....

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