तुझे मुबारक़ ये राह तेरी हों मुबारक़ मंज़िलें भी एक ज़रा मुस्कुरा कह दे कुबूल मुझको ये फासले भी क्यों ये धड़कन सिली-सिली है काँपती है ज़ुबाँ भी तेरी आशना सी नज़र ये बेबस लग रही है कफ़स सी तेरी एक उमर की सज़ा मुक़र्रर तुझे मुबारक़ ये क़ैद तेरी #selfdeception