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तुझे मुबारक़ ये राह तेरी हों मुबारक़ मंज़िलें भी एक ज़

तुझे मुबारक़ ये राह तेरी हों मुबारक़ मंज़िलें भी
एक ज़रा मुस्कुरा कह दे कुबूल मुझको ये फासले भी
क्यों ये धड़कन सिली-सिली है काँपती है ज़ुबाँ भी तेरी
आशना सी नज़र ये बेबस लग रही है कफ़स सी तेरी
एक उमर की सज़ा मुक़र्रर तुझे मुबारक़ ये क़ैद तेरी
 #selfdeception
तुझे मुबारक़ ये राह तेरी हों मुबारक़ मंज़िलें भी
एक ज़रा मुस्कुरा कह दे कुबूल मुझको ये फासले भी
क्यों ये धड़कन सिली-सिली है काँपती है ज़ुबाँ भी तेरी
आशना सी नज़र ये बेबस लग रही है कफ़स सी तेरी
एक उमर की सज़ा मुक़र्रर तुझे मुबारक़ ये क़ैद तेरी
 #selfdeception