न जाने इस दिल को किस बात का ग़म है, लोग समझते है कि आईना बेवजह टूटा है। कह सकते नहीं हम अपने दर्द का सबब, हाथ से हर ख़्वाब रेत की तरह छूटा है। •●• जीएटीसी क्रिएटिविटी - ८ •●• 《चैलेंज: ८》 कोलाॅब कीजिए २-४ पंक्तियाँ पृष्ठभूमि में लिखें। अपनी पूर्ण रचना को अधिकतम १६ पंक्तियों में अनुशीर्षक में लिखें। ( अनुशीर्षक में लिखने के लिये कोई भी बाध्यता नहीं है। ) आपकी पृष्ठभूमि की पंक्तियों को आप अनुशीर्षक में दोहरा सकते हैं। अनिवार्य हैशटैग: