हिंदी दिवस मेरी मातृभाषा हिंदी नहीं, हाँ सरकारी दफ्तरों के फॉर्म में लिखना पड़ता है, ये बस एक मजबूरी से ज्यादा कुछ भी नहीं। हमारी मातृभाषा को कानूनी दर्ज़ा प्राप्त नही,जबकि इसे बोलने वाले करोडों में हैं,विदेशों में इसे राष्ट्रीय भाषा का दर्ज़ा प्राप्त है ,पर इसके गंगोत्री में हीं इसे अस्वीकार किया जा रहा है।फ़िल्म ग़दर में सनी देओल का एक फेमस डॉयलोग है, एक... seee more in caption मेरी मातृभाषा हिंदी नहीं, हाँ सरकारी दफ्तरों के फॉर्म में लिखना पड़ता है, ये बस एक मजबूरी से ज्यादा कुछ भी नहीं। हमारी मातृभाषा को कानूनी दर्ज़ा प्राप्त नही,जबकि इसे बोलने वाले करोडों में हैं,विदेश में इसे राष्ट्रीय भाषा का दर्ज़ा प्राप्त है ,पर इसके गंगोत्री में हीं इसे अस्वीकार किया जा रहा है।फ़िल्म ग़दर में सनी देओल का एक फेमस डॉयलोग है, एक कागज़ के टुकड़े पर मुहर नही लगेगी तो क्या तारा पाकिस्तान नही जाएगा,इसी तर्ज़ पर ,क्या 8वीं अनुसूची में मेरी मातृभाषा नहीं आएगी तो क्या हम अपनी मातृभाषा को भूल कर थोपी हुई किसी भाषा को हम अपनी मातृभाषा स्वीकार कर लें। मुझे किसी भाषा से विरोध नहीं, मैं ख़ुद नई नई भाषाओं को सीखता रहता हूँ जैसे तमिल,कन्नड़,उर्दू,गुजराती,बंगाली वगैरह वगैरह, पर मौसी कितनी भी अच्छी हो ,माँ के साथ जो मिठास, लगाव और अपनापन होता है वो जीवन पर्यंत बना रहता है।जैसे जब आप अपना ऊपरी चोला उतार कर,फ्री माइंड से कुछ रिएक्ट करते हैं तो सबसे पहला रिएक्शन अपनी मातृभाषा में ही आता है। चाहे चोट लगे ,चाहे ख़ुशी में,आपके थिंकिंग प्रोसेस में हीं आपकी मातृभाषा आपकी माँ ऐसे रची बसी होती है कि आप चाह कर भी उसे भूल नही सकते। Maroof hasan (Meer) Musher Ali Pratibha Tiwari(smile)🙂