अब सफर के दौरान या फिर खाई खाली समय में युवाओं को किताब से रूबरू होते दिखाई पड़ना लगभग विलुप्त सा हो गया है यात्रा के दौरान ट्रेन या बस का इंतजार करने के समय खाली समय में पहले की तरह अब इक्का-दुक्का लड़के लड़कियां ही दिखाई देते हैं जो किसी पुस्तक के साथ होते आज का युवा वर्ग बहु बहु आयात में अपने मोबाइल फोन में ही मगन दिखता है समझ नहीं आता कि आखिर क्यों युवा बिना पढ़े कैसे अपने आप को भविष्य के लिए तैयार कर रहा है असल में पठन पठान की प्रति रुचि को जागृत करना पड़ता है समाज में जिस तरह से मोबाइल फोन के अथवा अन्य आधुनिक उपकरण के आने से व्यक्तियों ने अपने आप को उसी में व्यस्त रखना शुरू कर दिया है उससे भी पुस्तक के प्रति लोगों ने आरोपी दिखाने को मिलती है मोबाइल और इंटरनेट की शहर उपलब्धियों में युवा वर्ग तेजी से इंटरनेट मीडिया की तरफ मोडा है उसका बहु आयात समय इसी में गुजरने लगा है ©Ek villain #पुस्तकों से अच्छा कोई साथी नहीं #Hope