क्या जीना केसे जीना, हसना भुल गए हम; क्या मरना क्या मारना, पेसो पे बिकते हम ।। थोड़े से सुख के लिए... क्या उसूल कोनसा समाज, पैसा कमाने चल पड़े थे हम; ....गेर कानुनी बन गए हम । क्या एहमियत कोनसी जिंडेगी; जीना छोड़ दिए हम ।। आख़िर इस सुख की क़ीमत क्या है? #सुखकेलिए #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi