दिन बीत रहें हैं मैं सीख रहा हूं एक एक पन्ना पलटकर ज़िंदगी का रफ्ता रफ्ता स्वाद चख रहा हूं भरोसा करके धोका खाकर फिर सम्हलना सीख रहा हूं जरा देर लगेगी मगर मैं सीख रहा हूं वो मुस्कुराते चेहरों के पीछे का फरेब परखना या मीठी जुबान के पीछे का जहर चखना जरा देर लगेगी मगर मैं सीख रहा हूं चाहे हो दाव पेच जिंदगी के चाहे गम में मुस्कुराना हो जरा देर लगेगी मगर मैं सीख रहा हू वो वादा कर मुकर जाना हो या मतलब साध जाना जरा देर लगेगी मगर मैं सीख रहा हूं मासूमियत जिंदा है मुझमें सायद अभी इस बनावटी जमाने में बनावटी बनने में मुझे जरा देर लगेगी मगर मैं सीख रहा हूं ©kanishka #Childhood #Childhood