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आंसू गिरे जो इक कतरा समझ आता है । जज़्बा

         आंसू 
गिरे जो इक कतरा समझ आता है ।
जज़्बात कितने उमड़ आता है ।।
अच्छे-बुरे कई सारे याद जगा जाता है ।
 निर्मल कतरें दर्दों को धोल जाता है ।।

यूं ही नहीं पथ ये बदल जाता है ।
ठोकरों से निकल ये पड़ता है ।।
अपने-गैरों का भेद समझ इन्हे आता है ।
औरों के धक्कों से कहां ये उमड़ जाता है ।।
निर्मल कतरें दर्दों को धोल जाता है ।। #आंसू
#आंसू_और_हम
#आंसू_की_बुंदे
#आंसूओं
#आंसू_कीमती_है
#pk_pankaj
         आंसू 
गिरे जो इक कतरा समझ आता है ।
जज़्बात कितने उमड़ आता है ।।
अच्छे-बुरे कई सारे याद जगा जाता है ।
 निर्मल कतरें दर्दों को धोल जाता है ।।

यूं ही नहीं पथ ये बदल जाता है ।
ठोकरों से निकल ये पड़ता है ।।
अपने-गैरों का भेद समझ इन्हे आता है ।
औरों के धक्कों से कहां ये उमड़ जाता है ।।
निर्मल कतरें दर्दों को धोल जाता है ।। #आंसू
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Pk Pankaj

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