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टीस उठती रही, रात रोती रही, जख्म हंसते रहे, सांस ब

टीस उठती रही,
रात रोती रही,
जख्म हंसते रहे,
सांस बढ़ती रही,

यादों का समंदर भी आया था रात मिलने,
फिर पीर कहती रही आंख सहती रही।



धुंधली से वो याद आए वक्त थे जो बिताए,
फिर अपने शहर आए मिले कुछ चेहरे पराए,

खुद निखरे है अब यार कभी जो बीचों बीच अंगार जले,
देखो शांत पड़ी सब लहरे जिनके हम विपरीत चले,

बीते यादों की जमुना रात भर बहती रही,
फिर पीर कहती रही आंख सहती रही।

पुलकित तेवतिया

©Pulkit Teotia #Nojoto 

#Luminance  AMERUL SEKH misschaudhari122 Dipak Jha Suruchi Sehgal Bipin Kumar Ray
टीस उठती रही,
रात रोती रही,
जख्म हंसते रहे,
सांस बढ़ती रही,

यादों का समंदर भी आया था रात मिलने,
फिर पीर कहती रही आंख सहती रही।



धुंधली से वो याद आए वक्त थे जो बिताए,
फिर अपने शहर आए मिले कुछ चेहरे पराए,

खुद निखरे है अब यार कभी जो बीचों बीच अंगार जले,
देखो शांत पड़ी सब लहरे जिनके हम विपरीत चले,

बीते यादों की जमुना रात भर बहती रही,
फिर पीर कहती रही आंख सहती रही।

पुलकित तेवतिया

©Pulkit Teotia #Nojoto 

#Luminance  AMERUL SEKH misschaudhari122 Dipak Jha Suruchi Sehgal Bipin Kumar Ray