किस कि मेहनत किसे आराम देती है ये तो वक्त की साज़िश है कहा हर किसी को काम देती है कोई नाकारा निथाला नौजवान खाली बैठा हो जो घर पर फिर माँ हो या बाप किसकी मौजूदगी उसे सुकून और आराम देती है एक जलते हुए दिए से पूछ बैठी हवा मेरे आ जाने से तेरी लॉ भला क्यों मचलती है।। अक्श हकीकत का...