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उसके अंतर्मन में 'वो', कितना *बेज़ार हुआ होगा जब प

उसके अंतर्मन में 'वो', कितना *बेज़ार  हुआ होगा
जब परिवार चलाने वाला, खुद बीमार हुआ होगा
(बेज़ार- अप्रसन्न, खिन्न)

*मुस्तकबिल की सोच के वो, कितना लाचार हुआ होगा
उसके आगे जब उसका पौरुष बेकार हुआ होगा
*(मुस्तकबिल- भविष्य)

पाई-पाई जोड़ के वो, जिसकी हर ईंट सजाया था
सबसे ज्यादा भारी उसपे, वो घर-बार हुआ होगा

--प्रशान्त मिश्रा बीमार मुखिया
उसके अंतर्मन में 'वो', कितना *बेज़ार  हुआ होगा
जब परिवार चलाने वाला, खुद बीमार हुआ होगा
(बेज़ार- अप्रसन्न, खिन्न)

*मुस्तकबिल की सोच के वो, कितना लाचार हुआ होगा
उसके आगे जब उसका पौरुष बेकार हुआ होगा
*(मुस्तकबिल- भविष्य)

पाई-पाई जोड़ के वो, जिसकी हर ईंट सजाया था
सबसे ज्यादा भारी उसपे, वो घर-बार हुआ होगा

--प्रशान्त मिश्रा बीमार मुखिया