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उंगलियों में दिन गिन कर , ज़िंदगी जीने वालों ,कभी

उंगलियों में दिन गिन कर , ज़िंदगी 
जीने वालों ,कभी बेफ़िक्र ज़िंदगी, 
 को जी लिया करो, हर वक़्त काम के
 लिए भाग रहे हो,कभी खुद के लिए 
भी, जाग लिया करो यारों
उंगलियों में दिन गिन कर...... 
अभी वक़्त है, खुल के जी लो यार,
कभी खुद से भी, खुल के  कर लो 
प्यार,काम आयेंगी तेरी, खुद की
 देह ही , दूसरों की देह, तो बस तेरा 
भ्रम है यार,उंगलियों में दिन गिन 
कर जीने. ... 
कमाना, और खाना ये सिलसिला 
तो चलता रहेगा, पर ये मानस चोला
 जाने फिर कब मिलेगा,समय रहते 
जी लो, जी भरके, फ़िर ना जाने कब, 
जीने का मौका मिलेगा
उंगलियों में दिन गिन कर जीने वालों...

©पथिक..
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