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क्यों दमकता था ,वो चांदी की तरह चमकता चेहरा, जब भी

क्यों दमकता था ,वो चांदी की तरह चमकता चेहरा,
जब भी मिलता था क्यों इतना, महकता था चेहरा ।

ना उम्र समझदार थी, ना मोहब्बत से तारूफ़ अपना,
फिर भी पास आते ही उसके क्यों ,निखरता था चेहरा ।

यूं निगाह रखता था कि निगाह में ही बसा लूं उसको,
बेहयाई से हरदम , बस उसी को तकता था चेहरा ।

 उंगलियों की हरकतों से,चेहरे के हर मिजाज़ तक,
बहुत बारीकी से उसे बारहा  , पढ़ता था चेहरा ।

लबों की हद में था,बात करना ,हंसना या चुप रहना,
एक दिवानगी से उसके लबों को तरसता था चेहरा ।।

           - Author Vivek Sharma

 #love #romance #loveatfirstsight #firstlove #infatuation #yqlove #yqlovestory #yqbaba
क्यों दमकता था ,वो चांदी की तरह चमकता चेहरा,
जब भी मिलता था क्यों इतना, महकता था चेहरा ।

ना उम्र समझदार थी, ना मोहब्बत से तारूफ़ अपना,
फिर भी पास आते ही उसके क्यों ,निखरता था चेहरा ।

यूं निगाह रखता था कि निगाह में ही बसा लूं उसको,
बेहयाई से हरदम , बस उसी को तकता था चेहरा ।

 उंगलियों की हरकतों से,चेहरे के हर मिजाज़ तक,
बहुत बारीकी से उसे बारहा  , पढ़ता था चेहरा ।

लबों की हद में था,बात करना ,हंसना या चुप रहना,
एक दिवानगी से उसके लबों को तरसता था चेहरा ।।

           - Author Vivek Sharma

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Vivek Sharma

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