रातों में जगना, जुगनुओं का चश्मदीद होना, बहुत खलता है, सपनों का ज़मींदोज़ होना। वक्त की फ़ितरत से थोड़ी अनजान थी बस, मैं चाहती नहीं थी, किसी पर बोझ होना। नवाज़िशें, ग़म, रंजिशें, इख़्तियार, तन्हाई, जान ले लेता है दिलों में सोज़ होना। महज़ ये कह देना, सब ठीक है मेरे दोस्त, अच्छा होता नहीं है, यही हर रोज़ होना।। Deep 😞 From my Diary "ज़मींदोज़-दफ़न हो जाना" "इख़्तियार-नियंत्रण, सामर्थ्य" "सोज़-अथाह कष्ट, वेदना" "नवाज़िश-कृपा, मेहरबानी" #yqdidi #painofstruggler #lifeisfullofstruggles