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ख्वाहिश तो मेरी बहुत थी आपको पाने की बस बात औकात प

ख्वाहिश तो मेरी बहुत थी आपको पाने की बस बात औकात पर आके रूक गई।
इश्क़ का एक बूटा लगा बैठा था, आंसूओ से क्या भीगा हर एक डाली सूक गई।
ख्वाहिशो का क्या है ऐ बजरंगी, फ़कीरो ने की नहीं और पूरी राजाओं की भी न हुई।
ऊँची इमारतों से भीड़ने चला तू अपना कच्चा हुजरा लेकर, राज़ क्यों ये चूक हुई। #ख़्वाहिश#औकात#हुजरा#इमारत#भूल
ख्वाहिश तो मेरी बहुत थी आपको पाने की बस बात औकात पर आके रूक गई।
इश्क़ का एक बूटा लगा बैठा था, आंसूओ से क्या भीगा हर एक डाली सूक गई।
ख्वाहिशो का क्या है ऐ बजरंगी, फ़कीरो ने की नहीं और पूरी राजाओं की भी न हुई।
ऊँची इमारतों से भीड़ने चला तू अपना कच्चा हुजरा लेकर, राज़ क्यों ये चूक हुई। #ख़्वाहिश#औकात#हुजरा#इमारत#भूल