एक चेहरे पे लाखों चेहरे हैं यहां उधार लेकर बन जाते लोग बेहरे हैं यहां किसी को उसकी रचनाओं से ना तोलो लिखावट नामी हज़ारों पहरे हैं यहां लोगों को पहचानना सीखलो जीवन में अपनों से ही ठोकर खाए लोग ठेहरे हैं यहां यूं नकाबालय पर किसी से नाता न जोड़ो नक़ाब-ए-यारी की राह में गड्ढे काफी गेहरे हैं यहां समझ जाओ यारों इस युग के इंसानों को तुम सबके चेहरे पे मुखोटा और सिर पर अद्रष्य सेहरे हैं यहां नक़ाबालय - Social Sites नक़ाब-ए-यारी - Social Friendship #MyWords