अकेले मे खयाल आये अनेक........ लाखो दोष दे दीये जींदगी को...... बन बेठा ईन्शान परेशान..... सोच का नजरीया है सबका अनेक.... सब सोच से बडीया सोच जो बदले सबकी सोच...... खेल है ऐ जीदंगी और खीलाडी है हम...... हारने से खेल ही बुरा कहे वो कहा के हम....... जीतने का होंसला रखना है ऐ है सब सोच मे ऐक..... फीर भी ईस खेल को छोड दे तो खीलाडी बने कैसे थे हम.......!!!??? #shabdanchal#aajadmusafir😎