गजल कुछ दलालों ने ही ये काम किया है चोरी चपाटी बालात्कार सब आम किया है दो मिनट का मौन दुख जताने वो भी आये जिन नेताओं ने सब जंगल राज किया है तेरी अस्मत को पत्थर से कुचला उन्होंने तेरे ही जने बेटों ने तुझे संगसार किया है उठ अब न डर जालिम से ऐ मेरी बेटी तेरी खामोशी ने ही तुझे शमशान किया है तू भी रख दे मसलकर उस सय्याद की हस्ती जिसने तुझको कुचलकर फूलों से खार किया है जमाने के तमाशाईयों की अब राह न देख'आलम' तू भी मिटा दे उसको जिसने तुझपर वार किया है मारुफ आलम शमशान किया है/गजल