नवरात्र नौ दिनों में जितनी ऊर्जा का पुंज आप इकट्ठा कर लेते है वही है नवरात्र।। ऊर्जा के पुंज, शक्ति स्वरूप भी है, विद्या स्वरूप भी है, काम स्वरूप भी है,अन्न स्वरूप भी है, क्षमा ,दया, शील, विवेक, सब ऊर्जा पुंज है जो आपके जीवन की वह उन्मुक्त धारा है जिस से ,आप अपने कर्म को प्रकाश रुपी पुंज में परिवर्तित कर सकते है, और यही प्रकाश आपको विशिष्ट बनाता है , तथा ईश्वर के समीप ले जाता है।। इति अस्तु #नवरात्र