इस दर्द को खुद भी तो आजमाऊगा उसके छूने भर से ही मै टूट जाऊगा उसे खुद सौप के चादनी की रातो को मै अपने घर के अंधेरो मे लौट आऊगा बदन के कर्ब को भी वो न समझ पायेगा मै दिल से रोऊगा होठो से मुस्कुराऊगा वो क्या गया रिफाकत के सारे लुफ्त गये मै किससे रूठ सकूगा किसको मनाऊगा मै खुद को इस तरह सदा आबाद रखूगा उसपे लिखे शेर तन्हाई मे गुनगुनाऊगा इसी गलतफहमी मे रहा है मुद्दतो रोचक दूर रहा उससे तो मै उसे भूल जाऊगा #तन्हाहम #अकेलेतुम