" सपने " कुछ सपने टूट जाता है छूट जाता है घर के एक छोटे से कोने मे सिमट जाता है, आकाश मे, लंबे उड़ने वाले बाज भी दुबक जाता है, राह मे चलने वाले राहगीर भटक जाता है, साहब जिम्मेदारियाँ जहां आती है, लोगों के हड्डियां टूट जाती है, चल पड़ते है अनेक मोड़ पर, नासमझ समझकर कुछ लोग निचोड़ जाते है, गर्दन मरोड़ जाते है, अगर बढ़ जाते है आगे कभी, बाँध गले मे रस्सी हमे सूली पर कुछ लोग छोड़ जाते है, खुश रहने की चाह मे, हम जैसे लोग जिन्दगी छोड़ जाते है, कुछ सपने टूट जाते है छूट जाते है घर के एक छोटे से कोने मे सिमट जाते है, ©Durgesh Kumar Dream - A story of real life.