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कोरा बचपन डर तो उसे भी रहता है जो काच का समान बेचत

कोरा बचपन डर तो उसे भी रहता है जो काच का समान बेचता है,लेकिन दिल टूटने का नही ,काच टूटने का। आखिर कब तक।
कोरा बचपन डर तो उसे भी रहता है जो काच का समान बेचता है,लेकिन दिल टूटने का नही ,काच टूटने का। आखिर कब तक।