कभी प्रेमी कभी परिवार या कह दो माँ की ही प्रतिभूति है इश्क़, ना तेरी ज़रूरत,ना मेरी ज़रूरत,हर आसक्ति का अंत है इश्क़। दिल की आग में धुआँ-धुआँ सा है इश्क़, ईश्वर का दिया इस देह में का रुआँ-रुआँ सा है इश्क़l अनपढ़ से मन की गहरी सराहना है इश्क़, अपरिभाषित भावना की पहली सम्भावना है इश्क़। सृष्टि के आरंभ का कालजयी वृक्ष है इश्क़, चाहे अमूर्त खड़ा हो सामने पर हर है इश्क़। Challenge-146 #collabwithकोराकाग़ज़ 8 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए :) #धुआँधुआँसाइश्क़ #कोराकाग़ज़ #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine Collaborating with कोरा काग़ज़ ™️