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संसारियों की दुर्दशा को,देख मन में शांत हो। मत आश

संसारियों की दुर्दशा को,देख मन में शांत हो।

मत आश का हो दास तू,मत भोगसुख में भ्रांत हो॥

निज आत्म सच्चा जानकर,भाण्डा जगत का फोड़ दे।

अपना पराया मान मत, ममता अहंता छोड़ दे॥ ब्रह्म रामायण
संसारियों की दुर्दशा को,देख मन में शांत हो।

मत आश का हो दास तू,मत भोगसुख में भ्रांत हो॥

निज आत्म सच्चा जानकर,भाण्डा जगत का फोड़ दे।

अपना पराया मान मत, ममता अहंता छोड़ दे॥ ब्रह्म रामायण