बदल तो बोहत कुछ गया यार... ! शायद तेरा "दिल" मेरे "हालात" याद तो बोहत आवै है पर... कवां किस नै? वें दोनों ओढ़ तै होए "वादे" रोज...देर रात तक होया करदी जो "बात" खैर छोड़... यार इब तु "खुश" है अपणे परिवार की गेल्यां, कोशिश करूँ हूँ मैं भी रहण की... सोचे जाऊँ हूँ... कै तेरै स्यामी खोल दयुं अपणे दुखां का पिटारा पर... किस हक तै? बस... इब तो हिम्मत ऐ नी होंदी कुछ कहण की...!! बदल तो बोहत कुछ गया यार... ! शायद तेरा "दिल" मेरे "हालात" ©Preet Badhana #SAD #preetbadhana #Dark