खुशबू हवाएं ले उड़ी , वक्त रंगत ले गया गुल ने दास्तां कही , क्या से क्या यह हो गया । और न लेखन के बारे में कोई दावा है हम नहीं कहते कि हम ही कहते हैं । यही तो कहते हैं , कि हम भी कहते हैं । लेखन