वक़्त के ज़र्रे ज़र्रे पे मैं तेरा नाम लिख रहा हूं । तुमसे मिलने के समय को शाम लिख रहा हूं।। मर्ज़ दिखाने मैं हकीमों की दर पे घंटों पड़ा रहा। तुम्हारी बाहों को सुकून का धाम लिख रहा हूं।। कौन कहता है स्त्रियां पीछे होती हैं हम मर्दों से। मैं सच बताने के लिए सीता राम लिख रहा हूं।। Shivank Srivastava 'Shyamal' वक़्त के ज़र्रे ज़र्रे पे मैं तेरा नाम लिख रहा हूं । तुमसे मिलने के समय को शाम लिख रहा हूं।। मर्ज़ दिखाने मैं हकीमों की दर पे घंटों पड़ा रहा। तुम्हारी बाहों को सुकून का धाम लिख रहा हूं।। कौन कहता है स्त्रियां पीछे होती हैं हम मर्दों से। मैं सच बताने के लिए सीता राम लिख रहा हूं।।