Nojoto: Largest Storytelling Platform

याद हैं हमको वो दिन भी मेरा इंतजार रहता था, कभी त

याद हैं हमको वो दिन भी मेरा इंतजार रहता था,

कभी तुम कुछ न खाती थीं हमारे कुछ भी खाने तक।

कहाँ वादे , कहाँ कसमें, कहाँ है वो वफादारी-

तुम्हें तो साथ रहना था हमारी जान जाने तक।

©कवि विनय आनंद
  कहाँ वादे , कहाँ कसमें, कहाँ है वो वफादारी।

कहाँ वादे , कहाँ कसमें, कहाँ है वो वफादारी। #शायरी

213 Views