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क्या हुआ तेरा वादा, जो पत्थर की लकीर था..! तूने भ

 क्या हुआ तेरा वादा,
जो पत्थर की लकीर था..!
तूने भी मुझे इसलिए छोड़ा,
क्यूंकि मैं फ़क़ीर था..!
अरे घमंड न कर तू ,
यूँ अपनी अमीरी का..!
वक़्त का सब मोहताज़ है,
आज तेरा तो कल इस फ़क़ीर का राज़ है..!
पर तेरे जो ये अल्फ़ाज़ है,
अब याद रखेंगे..!
क्यूंकि अब न हम,
किसी के मोहताज़ हैं..!

©SHIVA KANT
  #kyahuaterawada