30. अप्रतिम रेशम से केश मुलायम है बहुत, काली घटा से है सघन केश. भौहें इतनी तीखी है उसकी, झरनों से बहती जैसे नीर की धारा. नयनों में सादगी सरल पवित्र सी, झुकी ऐसी तो भर गयी ह्रदयशाला. नजरें उठ गयी प्रेम की, खिल गयें पुष्प संबंध के. होठो पर विराजमान अप्रतिम हंसी, एक सजीली सुरीली धुन संगीत की. मैं सजदा करूं, इस सौंदर्य पर, मैं शीश झुकाऊं इस अदा पर. दर्शन मात्र से प्रेम स्फुरित, सच्चा व्यक्तित्व ही छवि उसकी. ©Ankit verma utkarsh❤ collection:-ठंडी धूप 30th poetry #ValentineDay Aryan k PUSHPA Rajput Rita Mohammad ABID